डॉ. दीपिका की कविताओं में उनका प्रकृति के प्रति लगाव स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। ‘गुलमोहर’ हो या ‘अमलतास’ कविताओं में जैसे जाग उठते हैं।
शहरों से विलुप्त हो रही ‘गोरैया’ को बुलाती उनकी कविता जैसे दिल को छू जाती है।
‘बरखा रानी’ हो या ‘बसंत’ उनकी कविताएं सुन्दर चित्र प्रस्तुत करती हैं।
एक डाक्टर की साहित्यिक कलम से निकली ये कविताएं पाठकों को अवश्य पसंद आऐंगी।
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