Share this book with your friends

Khargosh / ख़रगोश

Author Name: Jaya Jadwani | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

‘ख़रगोश’ जैसी एक से अधिक परतें ली हुई, तरह-तरह के और तरह-तरह से सवाल पूछती कृति की सराहना के लिए एक पाठक को अपने पास एक बड़ा, लचीला और व्यापक दृष्टिकोण रखना ज़रूरी जान पड़ता है। इसके पाठक को अपना दृष्टिकोण भी व्यापक रखना होगा और अपना परिप्रेक्ष्य भी बड़ा।

एक तरह से देखने पर अगर यह कृति औरत के दुःख, पीड़ा, अपमान, नियति, और अवमानना की रचना नज़र आती है, तो दूसरी तरफ़ से देखने पर औरत को ‘व्यक्ति’ की तरह स्वीकार न करने, उसकी नागरिकता को हाशिए पर धकेलने की गाथा नज़र आती है।

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

जया जादवानी

जन्म: 1 मई, 1959 को कोतमा, ज़िला शहडोल (मध्य प्रदेश)


शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी और मनोविज्ञान)


कृतियाँ: ‘मैं शब्द हूँ’, ‘अनंत संभावनाओं के बाद भी’, ‘उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य’ (कविता-संग्रह), ‘पहिंजी गोल्हा में’ (सिंधी कविता-संग्रह), ‘मुझे ही होना है बार-बार’, ‘अंदर के पानियों में कोई सपना काँपता है’, ‘उससे पूछो’, ‘मैं अपनी मिट्टी में खड़ी हूँ काँधे पे अपना हल लिए’, ‘अनकहा आख्यान’ (कहानी-संग्रह), ‘बर्फ़ जा गुल’, ‘ख़ामोशियों के देश में’ (सिंधी कहानी-संग्रह), ‘समन्दर में सूखती नदी’, ‘ये कथाएँ सुनाई जाती रहेंगी हमारे बाद भी’ (प्रतिनिधि कहानी-संग्रह), ‘तत्वमसि’, ‘कुछ-न-कुछ छूट जाता है’ (उपन्यास), ‘मिठो पाणी खारो पाणी’ (यह उपन्यास सिंधी में भी प्रकाशित), ‘हिन शहर में हिकु शहर हो’ (सिंधी उपन्यास), 'जे. कृष्णमूर्ति टू हिमसेल्फ़’ (हिन्दी अनुवाद)।


अन्य: ‘अंदर के पानियों में कोई सपना काँपता है’ पर ‘इंडियन क्लासिकल’ के अंतर्गत एक टेलीफ़िल्म का निर्माण। अनेक रचनाओं का अंग्रेज़ी, उर्दू, पंजाबी, उड़िया, सिंधी, मराठी, बांग्ला भाषाओं में अनुवाद।
कई कहानियों के नाट्य रूपांतरण ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली से प्रसारित। 


सम्मान: मुक्तिबोध सम्मान, ‘मिठो पाणी खारो पाणी’ पर कुसुमांजलि सम्मान 2017, कथाक्रम सम्मान 2017, कहानियों पर गोल्ड मेडल और कई अन्य छोटे-बड़े सम्मान।

Read More...

Achievements