ज़्यादा कुछ कहने को नहीं है। बस दो बातें कहना बहुत ज़रूरी समझता हूँ, दिल टूटना और जुड़ना काफ़ी नाज़ुक चीज़ है, किसी से दिल जुड़ना भी बहुत नाज़ुक है और दिल टूटना भी बहुत नाज़ुक है। मेरा भी टुटा है, लगभग सबका टूटता है। लेकिन एक बार दिल टूटने के बाद जब किसी तरह दोबारा जुड़ता है तो वो जोड़ बहुत मज़बूत होता है, और वही दिल जब दोबारा टूटता है तो ज़ख्म बहुत गहरा होता है, मैं उस दर्द को शायद लफ़्ज़ों में बयां ना कर सकू मगर कुछ शायराना अंदाज़ से आपके सामने पेश कर सकता हूँ ।