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kuuch apne kalam se / कुछ अपने कलम से अनकही भावनाएं

Author Name: Vivek Mayank | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

इस किताब द्वारा  एक छोटी-सी कोशिश है उन घटनाओं को प्रसारित करना जो आज भी हमारे समाज में कहीं न कहीं हर दिन घटती है। । हमे अपने जीवन में उन हर रूपों की एहमियत समझनी चाहिए जो हमे हमारी पहचान देते हैं। इस किताब में कुछ अत्याचार और कुरीतियों के बारे में ज़िक्र की गई है जो हमारे समाज की आत्मा को चोटिल करती हैं। मेरा एक मात्र प्रयास है कि जो भी इन कविताओं को पढ़े अपने आस पास इनमें कुछ ज़िक्र की गई घटनाओं को बढ़ावा ना दे और उन अच्छी बातों को ध्यान रखे और उनकी इज़्ज़त करें जो यहाँ ज़िक्र गई है। 

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विवेक मयंक

विवेक मयंक जो पावन गंगा नदी के छेत्र से आते है I इनका मानना है की इनको अपनी भावनाएं सरल भाषा में  लिखने की आदत अपने प्रिय पिताश्री से मिली है I   I यह अपनी भवनाओं के बड़े सरल भाषा प्रस्तुत करके लोगों के दिल के दरवाज़े पर दस्तक देते हैं I इनका मानना है की कवितायेँ दिल को छुनी चाहिए और उसे पढ़कर एक अपनापन का एहसास होना चाहिए।  इस बार अपनी लिखी हुई कुछ पंक्तियाँ जो इश्क़, फिक्र और अनजाने रिश्ते पर है। अबतक यह दो किताबें (मेरी माँ और सीक्रेट ऑफ़ लव ) जिनको कलाम बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड एंड इंटरनेशनल बुक ऑफ़ रिकार्ड्स मिल चुकी हैं।  यह इन किताबों के सह लेखक रह चूकें हैं।  इनकी किताब कुछ अपने कलम से कुछ ऐसी ही अनकही भावनाएं को प्रसारित कर रहीं हैं। 

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