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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रकृति का एक चक्र है और सभी प्राणी इस चक्र के अंतर्गत हैं । मानव सर्व बुद्धिजीवी होने के अहंकार में सदैव प्रकृति के चक्र से अलग चलने और प्रकृति के चक्र को अव्यवस्थित करने का कार्य किया है । समस्याएं कैसी भी हों कारण सिर्फ यही है “प्रकृति चक्र से अलग होना” । समस्याएं एक तरफ मानसिक असंतुलन करके जीवन को और स्वस्थ को बिगाड़ती हैं तो दूसरी तरफ मानवीय विचारधारा को नकारात्मक करके समस्त जीवमंडल के लिए विनाशकारी साबित होती हैं ।
“प्राकृतिक चिकित्सा प्रेमियों का जीवन अनुभव” पुस्तक हमारा छोटा सा प्रयास है जिसमें तमाम पाठकों को प्राकृतिक चिकित्सा प्रेमियों के अनुभवों से नवीन प्रेरणा का संचार होगा । प्राकृतिक चिकित्सा के प्रति यह प्रेरणा निश्चित ही प्रत्येक मानव को तमाम ऐसी दवाएं जिनका स्वास्थ्य पर विपरीत असर भी पड़ता है, से मुक्त होकर तन-मन-आत्मा से समृद्ध होकर सौ वर्ष सुखमय जीवन की तरफ अग्रसित करेगी ।
पं. मानस राजऋषि
पं. मानस राजऋषि
जन्म – १ अगस्त १९८३ प्रतापगढ़ ,उत्तर-प्रदेश
अध्यन – प्राकृतिक चिकित्सा, योग, ज्योतिष विज्ञान, आयुर्वेद, एस्ट्रोयोग टेक्निक, राजनीति शास्त्र, सजीव कृषि
रुचि - प्राकृतिक भ्रमण, लेखन, चित्रकारी, शतरंज, अध्ययन एवं अध्यापन, योग साधना
दीक्षित – सत्य साईं संप्रदाय, गायत्री परिवार, आनंद मार्ग, औघड़नाथ मार्ग एवं पारंपरिक महर्षि पतंजलि योग मार्ग
वर्तमान विवरण - गांधी आश्रम के सामने गांधी जी द्वारा बताई गई पंडित की चाली नामक बस्ती में गांधी जी द्वारा निर्मित एक भवन प्रा-योग मंदिर नामक केंद्र में संचालक एवं प्राकृतिक चिकित्सा, योग साधना एवं अध्यापन में संलग्न ।
जीवन का मुख्य उदेश्य - भविष्य में तेजी से नजदीक आती हुई महाआपदा एवं आपातकालीन परिस्थितियों के लिए नवयुग निर्माण हेतु नई पीढ़ी को तैयार करना ।
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