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Maharaj Chitragupt / महाराज चित्रगुप्त चित्त में स्थित

Author Name: Dr. Abhishek Shrivastava | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

प्रथम न्यायाधीश के न्याय कथन से सारी सृष्टि के कर्म एवं कर्मफल का कार्य सुचारू रूप से चल रहा था, सभी लोकों में नियम एवं धर्म पर चलने के संदेश पहुंच चुके थे। कर्म धर्म की मर्यादा में हों इसके लिए प्रयास किये जाने लगे थे। कर्मफल के नियम प्रचलित हो चुके थे। सभी को ज्ञात था कि कोई शक्ति है जो सदैव उनके चित्त में गुप्त रूप से स्थित है, और उनके द्वारा किये जा रहे कर्मों को चित्ररूप में संग्रहित कर रही है और वह शक्ति और कोई नहीं बल्कि स्वयं महाराज चित्रगुप्त हैं। ये प्रक्रिया अनंत है, जब आप ये पढ़ रहे हैं, तब भी ये शक्ति आपके इस श्रेष्ठ कर्म को संग्रहित करने में व्यस्त हैं। 

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डाॅ. अभिषेक श्रीवास्तव

जबलपुर,(मध्यप्रदेश),निवासी डाॅ. अभिषेक श्रीवास्तव, द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेन्ट ऑफ इंडिया से प्रमाणित तकनीकी लेखापाल हैं, साथ ही आंतरिक अंकेक्षक भी हैं। एम.काॅम ई-काॅमर्स से, एम.एससी. कम्प्यूटर साइंस से एवं संगीत शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत लेखन की दुनिया में इन्होंने कदम रखा और वर्तमान दौर के भारतीय लेखकों में भी अपना एक स्थान बना चुके हैं। ‘‘महाराज चित्रगुप्त’’ इनकी आठवीं किताब है। लेखक अपने पिता डाॅ. संत शरण श्रीवास्तव को प्रेरणास्रोत मानते हैं।

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