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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palये कहानी है उस वक़्त की, जब हिन्दोस्तानी सक़ाफ़त और सभ्यता नयी करवट ले रही थी। ये कहानी है दो सभ्यताओं के मिलन की, जो दो समंदर की मानिंद हो रहा था, ऊपर टकराव लेकिन भीतर ही भीतर नयी संस्कृति की शुरुवात। ये कहानी है उन बहादुर लोगों की, जिन्होंने पहले पहल हाथियों को क़ाबू किया और उन्हें पालतू बनाया। ये कहानी है उस वक़्त की बहादुर औरतों की, जिन्होंने हर क्षेत्र में मर्दों के साथ क़दम से क़दम मिला कर उनका साथ दिया, बल्कि उनसे बेहतर और बढ़कर अगुवाई की। ये कहानी है जंग में हाथियों के इस्तेमाल की शुरुवात की। ये कहानी है आम लड़कों के ख़ास बनने की। ये कहानी है हिम्मत, हौसले और सीख की, जो सिखाती है कि मक़सद अगर ऊँचा हो तो फिर बुद्धि और युक्ति से कुछ भी हासिल किया जा सकता है। ये कहानी आपकी है, मेरी है, हम सब की है। उम्मीद है आप सभी को पसंद आएगी।
एस. एम. अशरफ़ जमाल
एस. एम. अशरफ़ जमाल एक आईटी प्रोफेशनल हैं, जो कि वाराणसी में जन्में और पले बढ़े। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सेंट्रल हिन्दू स्कूल बी. एच. यू. और बी. टेक कानपुर विश्व विद्यालय से पूरा किया। बनारस की गलियाँ और आबो हवा आपके अंदर के सुख़नवर, लेखक और कलाकार को अपने आप जगा देती है और ये बनारस का ही असर था, जो उन्होंने कम उम्री में ही लिखना शुरू कर दिया था। उनकी शुरू से ही इतिहास को जानने और समझने में दिलचस्पी रही, लेकिन वो ऐतिहासिक घटनाओं को उसी काल खंड और उसी वक़्त के पैमानों पर जानना और समझना ज़्यादा पसंद करते हैं। गंगा घाट पर हिंदू मुस्लिम एकता की साझा संस्कृति में पले बढ़े होने का असर उनकी भाषा और लेखन में साफ़ झलकता है।
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