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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palइस संक्षिप्त पुस्तक के माध्यम से मैंने सुधि पाठकों व कविता- प्रेमियों के लिए मेरे अपने जीवन के खट्टे- मीठे अनुभवों पर आधारित चंद कविताएँ लिखने का पहली बार प्रयास किया है।इन कविताओं में उच्च कोटि की विलक्षणता हो, ऐसा दावा मैं नहीं करता, किंतु इन कविताओं के माध्यम से इन्सानी जज़्बातों के आधार पर जीवन में घटित होने वाले अनुभवों को सशक्त ढंग से प्रस्तुत करने की चेष्टा अवश्य की गई है, जिनसे अमूमन हर इन्सान दो- चार होता ही रहता है।
यदि पाठकगण इन कविताओं के माध्यम से जीवन को बेहतर ढंग से समझने और जीने के अवसर प्राप्त करता है तो मैं समझूँगा कि मेरा यह सूक्ष्म प्रयास निर्रथक नहीं रहा।
पुस्तक में किसी भी भूल व कमियों के लिए मैं पूर्ण रूप से उत्तरदायी हूँ। मुझे सुधि पाठकों के सुझाओं व मार्गदर्शन की प्रतीक्षा रहेगी।
इस पुस्तक को मूर्तरूप देने में मुझे अनेक ज्ञान-समृद्ध जनों का सहयोग प्राप्त रहा, जिनके प्रति मैं अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ, विशेष रूप से श्री श्याम पालीवाल जी का और श्रीमती आभा गर्ग जी का जिन्होंने पुस्तक की प्रारम्भिक पांडुलिपि से उस को अंतिम रूप देने में हार्दिक सहयोग किया।
अम्बा दत्त पालीवाल
लेखक ने वर्ष १९६९ में भारत में स्थित कालेज / विश्वविधयालय में व्याख्याता के रूप में अपनी आजीविका आरम्भ की। १९७१ में उन्होंने भारत के बैंकिंग सेक्टर की और रुझान किया और देश के एक अग्रिणी व्यावसायिक बैंक में प्रोबेशनेरी अधिकारी के रूप में कार्य करना शुरू किया जहां से वे २००६ मे महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत हुए। उसके बाद २०१३ तक देश के अग्रिणी वितिय संस्थाओं में सलाहकार व मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम किया।
वर्ष २०१६ में श्री पालीवाल अपने परिवार के साथ रहने अमेरिका चले गये और मार्च २०२२ में पुनः भारत लौट आए।
अमेरिका में अपने ६ वर्षों के आवास के दौरान श्री पालीवाल ने अपनी साहित्यिक रुचि को पुनः जाग्रत किया और इस दौरान विश्व स्तर पर अनेक मूल समस्याओं पर पढ़ने और लिखने का कार्य शुरू किया।
इस पुस्तक में प्रकाशित कविताएँ उसी यात्रा का एक हिस्सा है जिसे लेखक ने भारत लौटने पर मूर्तरूप देने का प्रथम प्रयास किया है।
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