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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"मेरा गाँव" मेरी पहली उपन्यास है, इस उपन्यास के माध्यम से कोविड फेज-2 का एक संक्षिप्त चित्रण करने का छोटा सा प्रयास है, साथ ही गोदी मीडिया और एक पत्रकार के बीच की कश्मकश की कहानी।
"बस एक भाड़े का कमरा, दो पैसे की नौकरी, जिल्लत, जद्दोजहद, भाग-दौड़, अपमान, मालिकों के आगे झुक कर खड़ा रहना, ना जाने क्या-क्या फिर भी गांव के लोगों को, शहर क्यों अच्छा लगता है? शायद शहर की चकाचौंध ने गांव की खूबसूरती को ही लील लिया हो।"
ऐसे समय में एक पत्रकार की दयनीय स्थिति का चित्रण को प्रस्तुत करने का प्रयास है यह उपन्यास।
शंभु चौधरी
लेखक परिचयः श्री शम्भु चौधरी का जन्म 15 अगस्त 1956 को कटिहार (बिहार) में हुआ। गत 40 वर्षों से कोलकाता में ही स्थाई निवास। आपकी एक पुस्तक "मारवाड़ी देस का ना परदेस का" प्रकाशित। आपने 57 साल की उम्र में विधि की परीक्षा पास की एवं 62 साल की उम्र में मास कम्यूनिकेशन पर मास्टर की परीक्षा पास की।
बचपन से ही कविता, लघुकथा, व सामाजिक लेख लिखना, देश के कई पत्र-पत्रिकाओं में लघुकथा, कविताओं, सामाजिक व राजनैतिक विषयों पर लेखों का प्रकाशन। स्वतंत्र पत्रकारिता करना व सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जन मानस को जगाना।
"देवराला सती काण्ड" के विरुद्ध कलकत्ता शहर में जुलूस निकालकर कानून में संशोधन कराने में सक्रिय भूमिका का निर्वाह। सामाजिक विषय पर चिन्तनशील कई पुस्तकों का सम्पादन।
समाज के युवाओं को संगठित कर उनको विकासमूलक कार्यों में लगाना, राजनीति का समाजीकरण करना, व स्वतंत्र पत्रकारिता में रुचि। कलकत्ता से प्रकाशित "समाज विकास" सामाजिक पत्रिका के कार्यकारी संपादक पद पर कार्य कर चुके श्री चौधरी जी के कई लेखों ने सामाजिक और राजनीतिक समीकरण में बदलाव लाया है। विधि विषय पर कई पुस्तकों को प्रकाशन। ‘‘मेरा गाँव, यह इनकी पहली उपन्यास है।
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