उपोद्घात्
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मेरी इक्यावन कविताएँ शृंखला की यह दूसरी कड़ी है। कम कविताओं का संकलन निकालने के लिये मुझे मेरी आँखों की पीड़ा ने बाध्य किया है। कविता लिखना मेरा व्यसन है। ज्ञात ही न हो सका कब पचपन वर्ष की काव्य-यात्रा पूरी हो गई?
मेरी हार्दिक इच्छा है कि जब मेरे प्राण शरीर छोड़ें तब मैं कोई कविता ही लिख रहा होऊँ। मेरी कविताएँ समाज के लिये सन्देशवाहिका बनें बस यही चाहता हूँ। मेरी कविताओं पर सम्यक दृष्टि तो पाठक ही डालेंगे। पाठक इन कविताओं का वाचन करें और मेरा मार्गदर्शन करते रहें इसी आकांक्षा के साथ—
आपका