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Mission Kutch : 1972 / मिशन कच्छ : 1972 चेप्टर 2

Author Name: Mr Vivek Kumar Pandey | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

इस किताब में मिशन कच्छ : 1972 चेप्टर 2 कि स्टोरी है. क्या नुसरत भुट्टो अपने पति का बदला लेंगे या नहीं , इंदिरा गांधी फिर से भारत को जोड पाएंगी या नहीं .‌ इस किताब को लिखने के दौरान कोई भी धर्म या जाति एवम् किसी भी परिवार के सदस्य को नुक्सान नहीं पहुंचाया गया है. इस किताब को लिखा हैं विवेक कुमार पांडे जी ने .।

अगर आप इस किताब को पढ़ेंगे तो आपको बहुत फायदा होगा, इतिहास जानने को मिलेगा और नोलेज बढ़ेगा. ।आप भी तो जान ले आखिर क्या हुआ था 1972 में । कहानी पढ के आप भी दंग रह जाएंगे । में जानता हूं आज कल के लोग पढ़ने में इतना लगाव नहीं रखते है । लेकिन याद रखे किताब पढ़ने से ही ज्ञान होगा । पुस्तकं ज्ञान ददामि संस्कृत में यह कहावत है। एक बार पढ के जरूर बताइएगा बहुत ही जबरदस्त कहानी है ।

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विवेक कुमार पांडे शंभुनाथ

मेरा नाम विवेक कुमार पांडे  है और मैं एक लेखक हु , में गुजरात के सुरत में निवास  करता हूं.मेरा जन्म ३० सेप्टेंबर २००२ में हुआ था, और मुझे बचपन से एक्टर बनने का सोख रहा है और अभी भी है.। में कभी ये नहीं सोचता की लोग क्या कर रहे हैं में ये सोचता हूं कि में क्या कर रहा हूं, में आज सफल हूं तो अपने पापा की वजह से आज वो रहते तो उन्हें बहुत खुशी होती , वो सदा और हमेशा मेरे साथ रहेंगे.। मेरे रियल लाइफ के सुपरस्टार और सुपर हीरो मेरे प्यारे पापा है । आई लव यू पापा । पापा को मेरे हाथ कि चाय बहुत अच्छी लगती थी ।

 जब उनका मन करता था चाय पीने के लिए तो वो कहते थे । मुझे चाय पीना है कौन बनाएगा मम्मी कहती में बना देती हूं लेकिन पापा कहते नहीं मेरा बेटा बनाएंगा । उसके हाथ कि चाय मुझे बहुत अच्छा लगता है । जब भी काम करके घर आने वाले होते हैं तब मुझे फोन ‌करते है विवेक बेटा बोलो क्या खाओगे सेब ले लु । में कहता ठीक है पापा ले लिजिए । पापा कहते कितना लू ‌एक किलो या 2 किलो ‌। में कहता नहीं पापा सिर्फ में ही खाता हूं भईया और दीदी को फल अच्छा ही नहीं लगता है इसलिए 3 सेब ‌ले लेना । लेकिन पापा मेरे लिए दो तीन किलो फल लेकर आ ही जाते थे । पहले ले ‌लेते फिर मुझे फोन करते । हमेशा ऐसा ही करते थे । 

में ये नहीं कह रहा हूं कि मुझे बहुत ज्यादा प्यार और मानते थे । वो ‌अपने तीनों संतानों को प्यार करते थे । सबसे छोटा तो में ही था घर में , मुझसे बड़ी मेरी बहन और मेरी बहन से भी बडे मेरे भईया । में आज भी वो दिन का इंतजार कर रहा हूं जब पापा मेरे लिए कुछ लेकर आएंगे । मेरे कान तरस रहे है वो आवाज़ सुनने के लिए । लेकिन कहते हैं जो चीज चली जाए वो ‌कभी लौटकर नहीं आती है । आप सभी से निवेदन है आप अपने मम्मी और पापा का ध्यान रखें ।‌ दुनिया में एक ही भगवान है वो है माता ओर पिता । 

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