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Nav Gyan 2 / नवःज्ञान 2 बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक और मनोरंजक कहानियां

Author Name: Mritunjay Poddar | Format: Paperback | Genre : Children & Young Adult | Other Details
यह पुस्तक अपने पिछले पुस्तक के मुकाबले बिल्कुल नया है और इसकी कहानियां भी बिल्कुल नई है. चूंकि, पुस्तक का नाम " नवःज्ञान " रखा गया है, तो मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं अपने पुस्तक के साथ न्याय करते हुए आप सभी के दिल को जीत सकूँ. इस पुस्तक में दस छोटी-छोटी कहानियां दी गई है और आशा करता हूँ, कि आप सभी को ये कहानियां पसंद आये. अगर इस पुस्तक में आपको कोई त्रुटि नजर आये, तो आप मुझसे संपर्क करें. पुस्तक के पहले पन्ने पर मेरा ईमेल आईडी दिया गया है.
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मृत्युंजय पोद्दार

कहते हैं कि उड़ान भरने के लिए पंखों की नहीं हौसलों की जरूरत होती है. मेरा नाम मृत्युंजय पोद्दार है और मैं सरायकेला ( झारखंड ) का निवासी हूँ. मैं शारिरिक तौरपर विकलांग हूँ, मेरी विकलांगता 75% है यानी कि मैं न तो कहीं जा सकता हूँ और न ही अकेला कुछ भी कर सकता हूँ. फिर भी अपने निजी दैनिक कार्य खुद ही कर लेता हूँ. मेरा सबकुछ होते हुए भी मैं अकेला महसूस करता हूँ, क्योंकि मेरे विचार मेरे घरवालों के विचारों से मेल नहीं खाते है. मेरे विचारों से न तो मेरे मेरे घरवाले कभी सहमत होते हैं और न ही मेरे प्रयासों का वो कभी समर्थन करते हैं. अकेले घर से बाहर नहीं जा पाने के कारण मेरा कोई दोस्त भी नहीं है. लेकिन मैं हमेशा से ये मानता रहा हूँ कि अकेला इंसान कभी कमजोर नहीं होता है, बल्कि अकेला इंसान एक योद्धा की तरह होता है. क्योंकि अकेले अपनी मंजिल तक पहुंचने वाले इंसान को रोकने-टोकने वाला कोई भी नहीं होता है. मुझे हमेशा से इस बात की खुशी रही है कि मेरे पिताजी ने हर वक्त मेरा साथ दिया है. साल 2017 में मुद्रा लोन के तहत मामूली सी रकम लेकर अपने घर में एक छोटा-सा दुकान खोला. आखिर, गुजारे के लिए भी कुछ न कुछ करना ही पड़ेगा. उस वक्त हमारे घर में बिजली नहीं था और इसीलिये लोन मिलते ही पहले मैंने बिजली क्नेकशन लिया. हालांकि, उस वक्त भी मेरे दिमाग में सिर्फ एक ही ख्याल था कि मैं लेखक बनूँगा. जानते हैं क्यों ? क्योंकि एक लेखक अपनी कलम से कागज पर अपनी संवेदनाओं और भावनाओं को व्यक्त करता है. उसके बाद मैंने साल 2019 में एक स्मार्टफोन लिया और फिर मैं यह पता लगाने में जुट गया कि मैं अपने लिखे गए पुस्तक को प्रकाशित कैसे करुँगा. इस कोशिश में मैंने अमेजन.कॉम में अपने पुस्तक को प्रकाशित किया. लेकिन वह सफल नहीं हुआ, क्योंकि अमेजन.कॉम में सिर्फ ms docs file को लिया जाता है और जो कि कंप्यूटर में बनता है. फिर मुझे एक प्रेस के बारे में पता चला. जब मैंने उस प्रेस से संपर्क किया, तब वे मेरी पहली पुस्तक को बिल्कुल फ्री में प्रकाशित करने को तैयार हो गए. मगर प्रेस वालों ने यह शर्त रखी, कि वह मुझे पुस्तक की बिक्री से होने वाली कमाई पर बहुत ही कम फायदा देंगे. मैंने उनकी शर्त मान ली, क्योंकि मेरे पास अपना पूंजी निवेश करने का हैसियत नहीं था और इस प्रकार आज मेरी दोनों पुस्तक " नवःज्ञान ( Nav Gyan ) " Amazon.com और Flipkart.com पर उपलब्ध है.
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