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Paani Re Paani / पानी रे पानी

Author Name: Pankaj Malviya | Format: Paperback | Genre : Outdoors & Nature | Other Details

नदियाँ, जंगल, पहाड़ आदि सभी कुछ प्रकृति के अंग हैं। प्रकृति, जिसे ईश्वर की श्रेष्ठ कृति कहा जाता है, के साथ छेड़-छाड़ की एक मर्यादा है। इसका उल्लंघन करने पर गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। हमारे यहाँ बुजुर्गों द्वारा छोटों को आशीर्वाद देते समय यह कहने का प्रचलन था कि जब तक इस पृथ्वी पर नदियों, जंगलों और पहाड़ों का साम्राज्य रहेगा, तुम्हारी कीर्ति अक्षुण्ण रहेगी। दुर्भाग्यवश हम इस परंपरा को भूल गए। नयी पीढ़ी को हमेशा इस बात को याद दिलाया जाता था कि उनके लिये इन जंगलों, पहाड़ों और नदियों का क्या महत्व है। प्रकृति को एक सीमा से अधिक अतिक्रमण सहने की आदत नहीं है और वह इसका बदला जरूर लेती है और इसे बर्दाश्त कर पाना सबके बस की बात नहीं है। हमें कम से कम इतना प्रयास तो करना ही चाहिए कि जो संसाधन और ज्ञान हमें पूर्वजों से मिले हैं, उन्हें अगली पीढ़ी को सुरक्षित कर उन्हें सौंप दें। पुस्तक में संकलित आलेखों के जरिये समाज तक यही संदेश पहुंचाने का प्रयास किया गया है।                                                                                                                                                                                                                                        

- संपादक

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पंकज मालवीय

पंकज मालवीय , जन्मस्थान : गंगा की गोद में (बिहार राज्य के वैशाली जिलातंर्गत राघोपुर प्रखंड का फतहपुर गांव, यह इलाका चारों ओर से गंगा नदी से घिरा है।) वर्ष 1966 के होलिका दहन की रात्रि में, शिक्षा व परवरिश गंगा नदी के किनारे सारण जिले के दिघवारा कस्बे में हुई। वर्ष 1991 से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय और नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, प्रभात खबर, नई दुनिया, आज हिन्दी दैनिक में नौकरी की और अपने लेखों के जरिए प्राकृतिक संसाधनों के प्रति समाज को जागरूक बनाने के लिए लगातार कार्य किया।
सनातन धर्मगुरू स्वामीश्री अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी की प्रेरणा से वर्ष 2014 से गंगा और पानी के प्राकृतिक संसाधनों के लिए सक्रिय कार्य प्रारंभ किया और इस दौरान गंगा नदी की समस्याओं को लेकर राज्यभर में अभियान के तहत 'गंगा और बिहार' नाम से संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नदियों, तालाबों और पानी के प्राकृतिक संसाधनों के अलावा भूजल और जंगलों के प्रति लोक चेतना के लिए आयोजित कार्यक्रमों में सक्रिय हिस्सेदारी रही है। गंगा की समस्याओं को समझने के लिए बक्सर जिले के चौसा से फरक्का तक की यात्रा और पश्चिम बंगाल के कई जिलों में गंगा की हालत को लेकर अध्ययन के साथ गंगा की अविरलता के लिए कार्य जारी है।

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