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Pakeezah / पाकीज़ा Dedicated to Pooja Gautam

Author Name: Laxmi Singh | Format: Paperback | Genre : Biographies & Autobiographies | Other Details

पाकीज़ा संवेदनात्मक स्वरूप का विश्वव्यापी भावुकता का एक ऐसा मार्मिक चित्रण है जिसे पढ़कर एक स्त्री के उदार चरित्र की अनुभूति होती है पाकीज़ा  एक उर्दू शब्द है जिसे हिंदी में पवित्र कहा गया है जिस स्त्री को दुनिया ने ठुकराया फिर भी वह इतिहास रचने में सक्षम रही, जो देखने में बेहद खूबसूरत कंचन कोमल कली की तरह मुस्कुरा दे तो अधर दिनकर ( सूर्य) की भांति चमकने लगे परंतु वह अंदर से उतनी ही जर्जर टूटी बिखरी हुई कि कोई हाथ लगा दे तो चकनाचूर हो जाए यह एक ऐसी पीड़ा एक ऐसा वियोग एक ऐसा संताप जिसमें उसे जीवन घुट- घुट कर जीना पड़ रहा था एक ऐसेे कालचक्र में वही घिरी हुई थी जहां काल तेजी से उसकी खुशियों को निगल रहा था इतने कष्ट इतनी पीड़ा सहने के बाद भी उसने जीवन जीने की उम्मीद उसने खत्म नहीं किया वह प्रतिपल जूझती रही वक्त से और फिर  जब उसका वक्त आया तो वह वक्त पर भारी पड़ने लगी

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लक्ष्मी सिंह

लक्ष्मी सिंह का जन्म उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिलेके पूराबघेला गाँव में 7 नवंबर 1999 मे हुआ इनके पिताजी का नाम "श्रीराजेश्वर सिंह" जो कि पेशेसे एक किसान हैऔर माँ का नाम "ऋतु सिंह" जो कि बालविकास परियोजना के तहत शिक्षिकाके रूप में कार्यरतहैं गाँव के विद्यालयसे प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बादएम. एस इंटर कॉलेजसे 12वीं तक कीशिक्षा प्राप्त की तत्पश्चात आर.एल पी.जी कालेज सेस्नातक की शिक्षा प्राप्तकी।

इनकेदादा जी "स्व. मंगला प्रसादसिंह (मंगलेश) " जी हिन्दी साहित्यके शिक्षक होने के साथ - साथ एक कवि औरसमाज सेवी भी थे।

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