Share this book with your friends

Pathey / पाथेय

Author Name: Unvoiced Media And Entertainment Private Limited | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

"पाथेय" में ऐसे आलेख चयनित किए गए हैं जिससे लोगों में आत्मविश्वास, स्वावलंबन, चारित्रिक– उत्कर्ष, मानवता का सम्मान, जीवन में आशावाद, कर्तव्य परायणता, श्रम और तपस्या द्वारा उन्नति की भावना जैसी उदात्त भावनाओं का संचार हो। साथ ही व्यापक भारतीय संस्कृति की अविच्छिन्न परंपरा के प्रति युवा मानस गौरव का भाव जागृत हो।
इस संस्करण की रचनाएं तीव्र आवेगों  और परिपक्व संवेदनाओं से परिपूर्ण हैं। इसमें शुद्ध घरेल दिनचर्या से लेकर अपने आसपास के एकांत, राष्ट्रीय मनोभावों के समृद्ध चिंतन से लेकर रोमानी सुधियों का फैलाव है। यह फैलाव पाठकों को कहीं बांधता है और कहीं मुक्त करता है, कहीं सोचने को विवश करता है तो कहीं पर आत्मविश्वास से भर देता है।
यह "पाथेय" जुझारू चिंतकों की जीवनानुभूतियों के दस्तावेज हैं जहां सुधीजनों के आस्वाद के लिए बहुत कुछ है।

Read More...
Paperback

Ratings & Reviews

0 out of 5 ( ratings) | Write a review
ketanmishra007

Delete your review

Your review will be permanently removed from this book.
★★★★★
Paperback 199

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

अनवॉइस्ड मीडिया एंड एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड

यह पत्रिका UNVOICED MEDIA AND ENTERTAINMENT के स्नेह की देन है। इसे निकालने की सोच और नामकरण से लेकर संकलित रचनाओं में कई महान विभूतियों का सहयोग प्राप्त हुआ है।  जब यह मस्तिष्क में आया कि हमें एक पत्रिका निकालनी है तो हमारे संरक्षक के रूप में आदिवासी व दलित विमर्श के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. अनुज लुगुन जी ने हमे ‘पाथेय’ नामक नाम सुझाया। UME के संस्थापक और निर्देशक केतन कुमार मिश्र, रितिक जांगिड़ , केशव कुमार मेघवंशी आदि ने कठिन परिश्रम से रजिस्ट्रेशन कराया और ISBN नंबर प्राप्त किया। अब बारी थी कि पत्रिका में रचनाएं कैसे संकलित की जाएं तो UME की ओर से एक साक्षात्कार की श्रृंखला होती है जिसमें हम किसी प्रसिद्ध विद्वान को आमंत्रित करते हैं हमने दिल्ली विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर रहीं मध्यकाल और काव्यशास्त्र की विशेषज्ञ डॉ. रूक्मिणी जी ने हमें कई तरह की विस्तृत जानकारी दी और इतना ही नहीं उन्होंने अपनी शुभेच्छा संदेश भी प्रदान कर पत्रिका का मान बढ़ाया। ऐसे ही पीजीडीएवी (सांध्य) कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत डॉ. डिम्पल गुप्ता जी ने पत्रिका के संकलन से संबंधित अनेक सुझाव दिए।

इस तरह ये पत्रिका अनेक बड़े साहित्यिक व्यक्तित्वों की देन है, जिनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद इस पत्रिका को प्राप्त हुआ।

Read More...

Achievements