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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह पुस्तक शब्दों के आपसी जुड़ाव और उसकी सार्थकता से लिखा गया हिंदी काव्य संकलन का एक अनूठा प्रयास है। पुस्तक की गहरायी का आँकलन इसके शीर्षक से ही स्पष्ट झलकता है। बहुमुखी प्रतिभा के धनी लेखक ने अपनी भाषा की सहजता, गहरायी और सुंदरता से भावनाओं, अहसासों और कल्पनाओं का माध्यम देते हुए काव्य को जीवंत रूप देने का प्रयास किया है। रस को काव्य की आत्मा माना जाता है अतः नव रसों का सम्मिश्रण रखकर विभिन्न विषयों का समावेश इस पुस्तक में किया है। प्रेम का विषय इसमें मुख्य भूमिका में है। काव्य में आने वाला आनंद अर्थात् रस लौकिक नहीं होकर अलौकिक होता है अतः काव्य संकलन के पठन के समय पाठक हर कविता के संदर्भ में स्वयं को जोड़ कर अनुभव कर सके और स्वयं के भावों को काव्य के भावार्थों, शब्दों और दी गयी उपमाओं की गहरायी से जोड़ पाये ऐसा प्रयास इस काव्य संकलन में हुआ है ।
नीरज सहल ‘मनन’
१९ दिसम्बर, १९७७ को राजस्थान प्रांत के विश्वविख्यात हस्तियों और धनिकों के शहर राजगढ़ ज़िला चूरु में जन्में नीरज सहल “ मनन” ने अपने हिंदी लेखन की शुरुआत अपने अध्ययन के आरम्भिक दौर में ही कर दी थी। बचपन से हिंदी वाद विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेने की लगन ने इन्हें राज्यीय स्तर के पुरस्कारों से सम्मानित किया। FM रेडीओ चूरु में युववाणी कार्यक्रमों में बोलने की कला हिंदी लेखन से ही मिली। आकस्मिक उद्घोषक के रूप में भी कुछ समय FM रेडीओ पे कार्य करने का अवसर इनको मिला जहां लेखन और प्रखर हुआ। सहिष्णु, मिलनसार प्रव्रत्ति, उच्च स्तरीय वार्तालाप शैली से धनी व्यक्तित्व वाले नीरज ने उच्च स्नातक की डिग्री (MBA) जयपुर शहर से हासिल की और लम्बे कार्य अनुभव के साथ फ़िलहाल एक प्राइवेट कम्पनी में ‘जनरल मैनेजर’ के पद पर मुंबई में कार्यरत हैं। इनका निवास स्थान मुंबई से सटे थाने शहर में है। अध्यययन के दौरान कई इवेंट कार्यक्रमों में शिरकत की। संगीत से इन्हें विशेष प्रेम है और ग़ज़लों को सुनने की लगन ने हिंदी और उर्दू के ज्ञान को प्रखर किया जो इनके लेखन में स्पष्ट झलकता है।
नीरज सहल के पिता श्री शिवकुमार सहल विभिन्न महाविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थाओं (BITS, पिलानी) में पुस्तकालयाध्यक्ष रहे हैं अतः उनके सानिध्य में पुस्तकों के पठन से उनका लगाव हमेशा रहा और वह अपने पिता के उच्च आदर्श विचारों से हमेशा प्रेरित रहे । पठन और लेखन की कला उन्हें विरासत में मिली। लेखक की माता श्रीमती ललिता सहल के आशीर्वाद और उनकी पत्नी ममता सहल, पुत्र पीताम्बर सहल ,कुछ मित्र और परिवार के सभी सदस्यो के सहयोग से इसको ‘नोशन प्रेस’ के माध्यम से आप सबको पहुँचाने के निर्णय ने इसे एक मूर्त रूप दिया जो ‘शब्दों के आलिंगन’ के माध्यम से आप सभी के सम्मुख प्रस्तुत है।
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