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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
” द प्रिन्स” इतालवी भाषा में लिखित एक राजनीतिक निबंध है । इसे निकोलो माक्यावैली ने सन् 1513 में लिखा था । इसका प्रकाशन माक्यावैली के मरने के पांच सालो बाद सन् 1532 में इटली के फ्लोरेंस राज्य में हुआ था । युवा लेखक वकील कुमार यादव ने इस पुस्तक का हिंदी रूपांतरण किया है।
The prince by Niccolo Machiaveli:
यह काफी पॉपुलर बुक रही है जिसे देश-विदेश के कई बड़े बड़े नेताओं द्वारा अध्ययन किया गया है। यह पुस्तक राजनीति के गुण रहस्य पर विशेष रूप से आधारित है, जिसे खुद कई देशों के प्राइम मिनिस्टर भी अध्ययन कर चुके हैं। इस पुस्तक का अनुवाद कई भाषाओं में किया जा चुका है। इस पुस्तक कि कुछ बिंदु नीचे दे रहा हूं जिसे पढ़कर आप समझ सकते हैं कि कुछ Leaders इस चीज को फॉलो भी कर रहे हैं:-
1. आवश्यकता पड़ने पर लोमड़ी और शेर का खेल खेलना
2. अच्छा परोपकारी दिखाई देना
3. अवसरवादी होना
4. सबकी सुनना परंतु मनमर्जी करना
5. लुभावनी योजनाएं बनाते रहना चाहिए
6. कला, संस्कृति व साहित्य के विकास पर ध्यान देना चाहिए
7. परम्पराओं, लोकमर्यादाओं व प्रथाओं का सम्मान
8. निष्ठुरतापूर्वक बल का प्रयोग:
9. अनुनय-विनय का चतुराई से प्रयोग
10. निश्चयात्मक रूप से कार्य करना
11. एक शक्तिशाली राष्ट्रीय सेना रखना
12. युद्ध की कला में निपुण होना चाहिए
13. जनता में लोकप्रिय होना
14. प्रेम की अपेक्षा भय का पात्र होना चाहिए
15. प्रजा की सम्पत्ति तथा औरतों से दूर रहना
वकील कुमार यादव
लेखक परिचय
वकील कुमार यादव एक भारतीय उपन्यासकार एवं युवा लेखक हैं। अभी तक इन्होंने कुल 23 पुस्तकें लिखी हैं। इनकी एक हिंदी कहानी संग्रह की पुस्तक टॉप बेस्ट शेलिंग में 13वे पोजीशन पर रही है। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य मे स्नातक एवं स्नातकोत्तर की पढ़ाई अनुग्रह नारायण महाविद्यालय पटना से की है। तत्काल अभी वे अंग्रेजी साहित्य में पीएचडी कर रहे हैं। हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं पर इनकी खास पकड़ है। अतः दोनों ही भाषाओं में किताबें लिखते हैं। इनकी लेखनी आज हजारों पाठकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं। वे लगभग सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लिखते हैं जैसे अकादमिक, फिक्शन, नॉनफिक्शन, ड्रामा ,कॉमेडी, कामुक ,स्टेटमेंट ,निबंध आदि। उनकी उपन्यास और गैर- उपन्यास आम आदमी की दयनीय स्थितियों और उनकी स्थितियों में सुधार की आवश्यकता के बारे में जागरूकता का विवरण है। उनकी लघु कथाएँ प्रकृति में आत्मकथा पर आधारित है। उन्होंने बहादुरी और साहसपूर्वक समाज और समुदाय में मौजूद जहर एवम कुरीतियोंपर प्रकाश डाला है। यहां तक कि उनकी कलम अपने धर्म के मिथक एवम कुंठित विचारों, अन्य धर्म के खराब रीति-रिवाजों और प्रथाओं की आलोचना करता है ।जैसे देवदासी प्रणाली, बाल विवाह, जातिवाद, हलाला जो कि जैसी मानवता के खिलाफ है।
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