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UDVIKASVAD AUR VAIGYANIK JEEVAN-DARSHAN / उद्विकास-वाद और वैज्ञानिक जीवन-दर्शन

Author Name: Jagdish Rai | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

डार्विन का उद्विकास सिद्धांत, विज्ञानं का धर्म के क्षेत्र में एक मुख्य विस्तार है।  इस सिद्धांत को समझने से लोग अन्धविश्वास से बचेंगे और एक वैज्ञानिक विश्व-दृष्टि विकसित होगी। उद्विकास के मूलभूत सिद्धांत को बिना किसी खास तकनीकी विषय के ज्ञान के भी समझा जा सकता है और इस पुस्तक में इसे बहुत ही सरल भाषा में लिखा गया है। उद्विकास के सिद्धांत के आधार पर इस पुस्तक में स्वास्थ्य और मन की शांति के विषय पर एक गहरी समझ विकसित की गयी है। यह सिद्धांत मूलतः इस दार्शनिक प्रश्न का उत्तर है कि पृथ्वी पर जीव प्रजातियाँ कैसे उत्पन्न हुई,  लेकिन आज इस सिद्धांत से नैतिकता और संस्कृतियों की  उत्पत्ति को भी समझा जा सकता है।  आने वाले समय में लोगों के लिए अपनी अनुवांशिक सूचना (Personal Genome) प्राप्त करना भी बहुत आसान हो जायेगा इसलिए उद्विकास, जन-अनुवांशिकी और अनुवांशिक विविधता को उपयुक्त परिपेक्ष्य में समझने की आवश्यकता होगी।

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जगदीश राय

डॉ. जगदीश राय, पंजाब विश्वविद्यालय के न्यायिक विज्ञान विभाग में असिसटेंट प्रोफेसर है और जीव विज्ञान का अध्यापन व शोध कार्य करते है। इससे पहले अमेरिका (USA) के बेकमैन संस्थान (University of Illinois) में भी शोधकार्य किया। इन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय के आनुवंशिक और जैव-प्रौद्योगिकी संस्थान (ICGEB) से डॉक्टरेट (PhD) की उपाधि प्राप्त की। वर्ष 2014 में ये इन्नोसेंटीव (InnoCentive Winning Solver) पुरस्कार के विजेता रहे जो की इन्हे डीएनए अनुक्रमण की अगली पीढ़ी (Next Generation DNA Sequencing) की तकनीक सुझाने के लिए दिया गया था। 

पश्चिमी देशों में विज्ञान, खासकर उद्विकास पर आमजन के लिए लिखी गयी पुस्तकों से ये अत्यधिक प्रभावित हुए। लेकिन भारतीय परिप्रेक्ष्य में इस तरह की लिखी गयी, वैज्ञानिक सोच को बढावा देने वाली पुस्तकों की कमी महसूस की। फिर इन्होंने इस विषय पर कई लोकप्रिय लेख जर्नल और पत्रिकाओं में छापे और दूर-दर्शन पर भी कार्यक्रमों में ये विचार रखे । विस्तार में, इनके ब्लॉग www.dudhwal.blogspot.in पर इन लेखों और अन्य शोध कार्यो के बारे में पढ़ा जा सकता है।

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