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Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपंक्तियां भले ही कैसी भी हो मगर लिखने वाले के लिया उसका खोना गूंगा हो जाने के समान है, विभोदय उसी का एक अपूर्ण प्रयास है जिसके जरिए न केवल कविताओं को सुरक्षित अपितु अपने डायरी तक सीमित रखने से भी बचाया जा सकता है! विभोदय केवल प्रेम कविताओं एवं पंक्तियों का संग्रह है अन्य कविताओं को भी एक पुस्तक रूपी अलमारी की जरूरत है जिसके लिए हमें जरूरत है आपके विचार, सुझाव एवं आशीर्वाद की...
धन्यवाद
साकेत कुमार घोष
तुम पढ़ते रहे तो मैं लिखता रहूंगा
लिखे लफ्ज़ में तुम्हे दिखता रहूंगा
ख़रीद लेना कभी जेब ढ़ीली करके
हो सकता है कल कहीं पुस्तक बनकर बिकता रहूंगा
नाम : साकेत कुमार घोष
पिता : स्व प्रदीप कु० घोष
पता : भीखनपुर, भागलपुर, बिहार-८१२००१
शिक्षा : स्नातक (जारी)
व्हाट्सएप : ९७०९३२६०५१
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