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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palक्या आप देश के वर्तमान हालातों से असंतुष्ट है? क्या देश की गरीबी, बेरोज़गारी की समस्या, नारियों की दुर्दशा, धार्मिक और सांप्रदायिक झगडे, शिक्षा की असफलता , युवा पीढ़ी की दिशाहीनता जैसे प्रश्न आपको भी परेशान करते है? क्या आप जानना चाहते है कि हमारे स्वतंत्रता -संग्राम के महापुरुष और क्रांति कारी इन समस्याओं के बारें में क्या सोचते थे? लेखक
की २ साल की कड़ी मेहनत और सैकड़ों दुर्लभ पुस्तकों से किये गये शोध के परिणाम के रूप में यह किताब आपके सामने है। लेखक का दावा है कि इस किताब को पढ़ने और इस पर सोचनें के बाद आप वही व्यक्ति नहीं रह जाएँगे जो आप किताब पढ़ने के पहले थे, क्योंकि जो राष्ट्रीय समस्याएँ आपको अब तक परेशान कर रही थी उन सभी के उत्तर इस किताब में आपको मिल जायेंगे।
डॉ. ऋषि आचार्य
ऋषि आचार्य का जन्म मध्यप्रदेश के एक छोटे शहर रतलाम में हुआ। परिवार से देशभक्ति और स्वा ध्याय की परंपरा विरासत में प्राप्त हुई। बचपन से ही अध्यात्म के रहस्यों के प्रति झुकाव रहा। १६ साल की उम्र में पहली पुस्तक “क्रान्ति दर्शी विवेकानंद’ लिखी जो की अब अप्राप्य है। इस उम्र से विश्व के समस्त धर्मग्रथों के प्रति झुकाव शुरू हुआ। इस्ला म के सही रूप और दर्शन को समझने के लिए ‘कुरआन’ का अनेकों बार अध्ययन और मनन किया। किशोरावस्था में वेदों और उपनिषदों, बाईबल, गुरुग्रंथसाहिब, जेंदावेस्ता, तौरात , ज़बूर और धम्मपद का अध्ययन शुरू हुआ जो की निरंतर जारी है। M.Sc information technology की पढाई पूर्ण करने के बाद शिक्षाजगत में ही कार्य करने का निर्णय । वर्तमान में पुणे महाराष्ट्र के एक महाविद्यालय में प्राचार्य के तौर पर कार्य रत।
सामाजि क क्षेत्र में पर्यावरण, शिक्षाजगत और वि ज्ञानवादी मानवता के लिए उल्लेखनीय कार्य । आध्यात्मिक, सामाजिक और प्रेरणादायी रचनाओं के क्षेत्र में उन्होंने अपनी प्रतिभा से देश का ध्यान अपनी ओर खींचा है।अपने जीवन के बारे में वह कहते हैं लोगों में वैश्विक मूल्यों का प्रचार करना ही इस जीवन का उद्देश्य है। उनके मौलिक चितंन और लेखन के अनूठेपन के कारण उनकी रचनाओं की युवा वर्ग में विशेष माँग है। भारत की प्राचीन मेधा को आधुनिक विज्ञान और दर्शन के साथ व्याख्या करना उनका प्रिय क्षेत्र है।
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