समाज का विकास उसमें निहित सम्पूर्ण मानवीय क्षमता का कुशलतापूर्वक उपभोग पर निर्भर करता है। समाज में सभी वर्ग के सहयोग के बिना पूर्ण विकास सम्भव नहीं हो सकता है। शिक्षा किसी समाज के उध्र्वगामी विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक है। शिक्षा को व्यक्ति की दक्षता बढ़ाने का साधन ही नहीं माना जाता है बल्कि लोकतंत्र में सक्रिय भागीदारी निभाने और अपने सामाजिक जीवन-स्तर में सुधार के लिए भी शिक्षा आवश्यक है। भारत में विकलांग लोगों की संख्या अधिक है और इनके विकास के बिना देश का पूर्ण विकास संभव नहीं है। भारत में विकलांग लोगों के लिए शिक्षा का इतिहास एक बदलते स्वरूप में उभरता हुआ दिखाई देता है। भारत की विशिष्ट शिक्षा आयामों में एक महत्वपूर्ण आयाम है- ‘‘समावेशित शिक्षा’’।
AKHILESH YADAV
RESEARCH SCHOLAR
Central Institute of Education
University of Delhi
M.Ed from Department of Education
Dr. Harisingh gour vishwavidyalay sagar M.P