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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalDoctorate C.I.E Department of Education, University of Delhi Delhi India TGT SSt Kendriya Vidyalaya Sangathan M.Ed, Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalay. Father Name- CHARAN SINGH YADAV Mother Name- SONIYA DEVI Address- VILLAGE- DHANUA (SHERALIGARH) POST- BAHARIYABAD DIST- GHAZIPUR, UTTAR PRADESH, PIN CODE- 275204 Mobile No. 9889657759 Email.Id-aksharyadav92@gmail.comRead More...
Doctorate C.I.E Department of Education, University of Delhi
Delhi India
TGT SSt Kendriya Vidyalaya Sangathan
M.Ed, Dr. Harisingh Gour Vishwavidyalay.
Father Name- CHARAN SINGH YADAV
Mother Name- SONIYA DEVI
Address- VILLAGE- DHANUA (SHERALIGARH)
POST- BAHARIYABAD
DIST- GHAZIPUR, UTTAR PRADESH, PIN CODE- 275204
Mobile No. 9889657759 Email.Id-aksharyadav92@gmail.com
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अनुसंधान पद्धतियों के विशाल परिदृश्य में, एक विशिष्ट और शक्तिशाली दृष्टिकोण उभरता है - मिश्रित अनुसंधान विधि। यह पुस्तक, मिश्रित अनुसंधान विधि के माध्यम से एक यात्रा करवाती है,
अनुसंधान पद्धतियों के विशाल परिदृश्य में, एक विशिष्ट और शक्तिशाली दृष्टिकोण उभरता है - मिश्रित अनुसंधान विधि। यह पुस्तक, मिश्रित अनुसंधान विधि के माध्यम से एक यात्रा करवाती है, जिसमें मिश्रित अनुसंधान के दायरे में एक ज्ञानवर्धक अभियान शुरू होत है, इसकी पेचीदगियों, तकनीकों और परिवर्तनकारी क्षमता का अनावरण करती है। मात्रात्मक अन्वेषण के फैलाव के साथ गुणात्मक अन्वेषण की गहराई को सम्मिश्रण कराती है, जिससे मिश्रित अनुसंधान एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है जिसके माध्यम से शोधकर्ता बहुमुखी घटनाओं को उजागर कर सकते हैं।
समाज का विकास उसमें निहित सम्पूर्ण मानवीय क्षमता का कुशलतापूर्वक उपभोग पर निर्भर करता है। समाज में सभी वर्ग के सहयोग के बिना पूर्ण विकास सम्भव नहीं हो सकता है। शिक्षा किसी समाज
समाज का विकास उसमें निहित सम्पूर्ण मानवीय क्षमता का कुशलतापूर्वक उपभोग पर निर्भर करता है। समाज में सभी वर्ग के सहयोग के बिना पूर्ण विकास सम्भव नहीं हो सकता है। शिक्षा किसी समाज के उध्र्वगामी विकास में सबसे महत्वपूर्ण कारक है। शिक्षा को व्यक्ति की दक्षता बढ़ाने का साधन ही नहीं माना जाता है बल्कि लोकतंत्र में सक्रिय भागीदारी निभाने और अपने सामाजिक जीवन-स्तर में सुधार के लिए भी शिक्षा आवश्यक है। भारत में विकलांग लोगों की संख्या अधिक है और इनके विकास के बिना देश का पूर्ण विकास संभव नहीं है। भारत में विकलांग लोगों के लिए शिक्षा का इतिहास एक बदलते स्वरूप में उभरता हुआ दिखाई देता है। भारत की विशिष्ट शिक्षा आयामों में एक महत्वपूर्ण आयाम है- ‘‘समावेशित शिक्षा’’।
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