प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कुछ लम्हें इस तरह से गुजर जाते हैं जिनको वह फिर से जीना चाहता है।
उन लम्हों को आजीवन याद रखना चाहता है।
रचनाकार ने बीते लम्हों को लेखनी के माध्यम से काव्य विधा में ढ़ालकर एक पुस्तक का रूप दिया है। काव्य संग्रह 'आओ-ना फिर से तुम' में बचपन,गाँव,बारिश,सावन,स्कूल,प्रेम,दोस्ती,खेतों में लहराती फसलों के इर्द-गिर्द घूमती हुई कविताओं के साथ ही नारी जागरूकता और प्रेरणात्मक कविताएं शामिल हैं।
किस तरह विज्ञान के युग में बचपन खोता जा रहा हैं। छात्र किस तरह से अपने सपनों को पूरा करने के लिए घर से दूर रहता है तब उसको घर की याद आती हैं, अपने बचपन के दोस्तों को कैसे याद करता है उनको फिर से गाँव बुलाता है और फिर से बचपन में खो जाना चाहता है।।