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Abhyantar Ki Abha / अभ्यंतर की आभा ध्यान की परम शान्ति के लिए शारीरिक कल्पना और विश्राम

Author Name: Dr. Anuradha Iyer and Dr. Ashima Das | Format: Paperback | Genre : BODY, MIND & SPIRIT | Other Details

यह किताब, ‘अभ्यंतर की आभा’शरीर के मानस-दर्शन और विश्राम तकनीकों से युक्त ध्यान की एक गाइड है, जिसमें एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, मनोविज्ञान और आध्यात्मिकता के सिद्धांतों को समाहित किया गया है। इसमें विस्तृत चित्र भी शामिल किये गए हैं, जो शरीर के अंगों और प्रणालियों के ‘विज़्वाइलाइजे़शन’ में मदद करते हैं। किसी भी बीमारी की रोकथाम में सही जानकारी प्रदान करने के लिए संबंधित अंग की ‘क्लिनिकल’हालत का उल्लेख किया गया है। इस किताब की एक ख़ास बात यह भी है कि इसमें शरीर के प्रत्येक अंग के प्रति कृतज्ञता और उसके महत्व पर ज़ोर दिया गया है। यह पुस्तक पाठकों को अपने शरीर, मन और आत्मा को एक इकाई के रूप में देखने व अनुभव करने और ईश्वर से जुड़ने में मदद करेगी।

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डॉ. अनुराधा अय्यर डॉ. आशिमा दास अनुवादः आशा नयाल चित्रः रोहन यादव

डॉ. अनुराधा अय्यर हरियाणा के नल्हर में एसएचकेएम सरकारी मेडिकल कॉलेज में फिजियोलॉजी विभाग की प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष हैं और पिछले 30 सालों से मेडिकल छात्रों को पढ़ा रही हैं। वह एक आध्यात्मिक साधिका हैं और पिछले 14 वर्षों से ध्यान के लिये ‘बॉडी विज़्वलाइज़ेशन’ और विश्राम तकनीकों का अभ्यास कर रही हैं। इस पुस्तक में, वह ध्यान की इस पूरी तकनीक का विस्तार से वर्णन करती हैं और ध्यान के साथ अपने स्वयं के अनुभवों के बारे में भी बताती हैं। वह एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका भी हैं और भक्ति गीत गाती हैं। उन्होंने एक केमिकल इंजीनियर से शादी की और एक 21 वर्षीय बेटे की मां है। उन्होंने इससे पहले चार किताबें लिखी हैं: कृष्णप्रिया, छोटी सी मृत्या, समर्पण और ओम नमः शिवाय की शक्ति। 

डॉ. आशिमा दास हरियाणा के एसएचकेएम सरकारी मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में एक प्रोफेसर हैं। मेडिकल छात्रों को मानव शरीर की सूक्ष्म बारीकियों के बारे में पढ़ाने के अलावा, वह एक सफल शोधकर्ता भी हैं, जिनके 30 शोध, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही तरह की पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। वह पत्रिकाओं के लिए समीक्षक के तौर पर भी काम करती हैं और इंद्रबीर सिंह की ह्यूमन हिस्टोलॉजी और ह्यूमन एम्ब्रियोलॉजी की पाठ्यपुस्तक के लिए राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड की सदस्य भी हैं। इस किताब की सह-लेखिका के रूप में उनका योगदान लेखन में उनके शुरुआती प्रयास को दर्शाता है, जिसमें उन्होंने ध्यान-अभ्यास के दौरान शरीर की कल्पना करने के लिए पाठक की कल्पनाशील क्षमताओं को बढ़ाने हेतु इस विषय के अपने व्यापक ज्ञान का उपयोग किया है।

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