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ADIVASI DARSHAN AUR SAHITYA / आदिवासी दर्शन और साहित्य

Author Name: Vandna Tete | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

इस किताब में आदिवासी लेखक और बुद्धिजीवी कहते हैं-‘‘इतना तो हम जानते हैं कि इस धरती का स्वामी मानव नहीं है। मानव का धरती से सिर्फ एक नाता है। इतना तो हम जानते हैं कि सभी चीजें आपस में ऐसे जुड़ी हैं जैसे खून एक परिवार को जोड़ता है। सभी चीजें- सभी एक-दूसरे से जुड़ी हैं। जो कुछ पृथ्वी के साथ घटित होता है, वही पृथ्वी की संतानों के साथ घटित होता है। मानव ने जीवन का ताना-बाना नहीं बुना। वह तो इस ताने-बाने का एक तन्तु मात्र है। इस ताने-बाने के साथ जो भी वह करता है, वह अपने साथ करता है।’’

गीताश्री उरांव, रोज केरकेट्टा, ग्लैडसन डुंगडुंग, जोवाकिम तोपनो, गंगा सहाय मीणा , डॉ. सावित्री बड़ाईक, वंदना टेटे, रेमिस कंडुलना, सेम तोपनो, अनुज लुगुन, वाल्टर भेंगरा ‘तरुण’, डॉ. रामदयाल मुंडा , कृष्णमोहन सिंह मुंडा , जयपाल सिंह मुंडा, रोस्के-मार्टिनेज और सिएटल के रेड इंडियन मुखिया के ‘आदिवासियत’ संबंधी लेखों का पठनीय व संग्रहणीय हिंदी संकलन।

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वंदना टेटे

सितंबर, 1969 को सिमडेगा (झारखंड) में जन्मी वंदना टेटे एक प्रमुख भारतीय आदिवासी लेखिका हैं। आप हिंदी एवं खड़िया में लेखन करती हैं तथा आदिवासी दर्शन और साहित्य की प्रखर प्रस्तावक और अगुआ पैरोकार हैं।

कृतित्व: सामाजिक विमर्श की पत्रिका ‘समकालीन ताना-बाना’, बाल पत्रिका ‘पतंग’ (उदयपुर) का संपादन एवं झारखंड आंदोलन की पत्रिका ‘झारखंड खबर’ (राँची) की उप-संपादिका। त्रौमासिक बहुभाषायी आदिवासी-देशज पत्रिका ‘झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा’, खड़िया मासिक पत्रिका ‘सोरिनानिङ’ तथा नागपुरी मासिक ‘जोहार सहिया’ का संपादन और प्रकाशन। आदिवासी और देशज साहित्यिक-सांस्कृतिक संगठन ‘झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा’ (2004) की संस्थापक महासचिव।

प्रकाशन: ‘पुरखा लड़ाके (सं.)’, किसका राज है’, ‘झारखंड एक अंतहीन समरगाथा’ (सहलेखन), ‘पुरखा झारखंडी साहित्यकार और नए साक्षात्कार’ (सं.), ‘असुर सिरिंग’ (सं.), ‘आदिम राग’ (सं.), ‘कोनजोगा’, ‘एलिस एक्का की कहानियाँ’ (सं.), ‘प्रलाप’ (सं.), ‘आदिवासी दर्शन और साहित्य’ (सं.), ‘वाचिकता: आदिवासी दर्शन, साहित्य और सौंदर्यबोध, ‘लोकप्रिय आदिवासी कहानियाँ’ (सं.) ‘आदिवासी दर्शन कथाएँ’, ‘लोकप्रिय आदिवासी कविताएँ’ (सं.) और ‘हिंदी की आरंभिक आदिवासी कहानियाँ’ (सं.)।

संप्रति: झा.भा.सा.सं. अखड़ा और प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, राँची के साथ सृजनरत।

संपर्क: toakhra@gmail.com

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