दो शब्द..
गत कुछ वर्षों से काव्य यात्रा का आरंभ हुआ । या कह लो कलम पकड़ी। 2020 में जब कोरोना महामारी फैली तब मेरी लेखनी ने कुछ कदम बढ़ाने का सिलसिला आरंभ हुआ। यूं तो मैंने कभी किसी खास सम्मेलन अथवा काव्य गोष्ठी में शिरकत नहीं की जाना नहीं हुआ परन्तु
कुछ पत्र– पत्रिकाओं में मेरी कविताएं छपी। ये 2020 से 2021 का साल रहा जब ( USA) अमेरिका की हम हिन्दुस्तानी जैसे भारत के बाहर के पेपर में मेरी कविताओं को स्थान मिला ।यूं मुझे एक छोटी सी पहचान मिली ।
मैंने कविताएं शौक से और मन आती कुछ बातें जो अनकही होती कुछ उलझने जो सुल्झ नहीं पाती को लिखना शुरू किया । जो आप सभी के सामने कविताओं के रूप में उपस्थित हैं।
आप सभी को समर्पित हैं । आप सभी का प्यार,, प्रोत्साहन,, आशिर्वाद की कामना करते हुए।बस इतना ही की "
गिरू तो उठा लेना, भटकूं तो राह दिखाना,
मिले जो सभी का आशिर्वाद, तो लेखन सफल माना।
राजी यादव
किदवई नगर, न्यू दिल्ली ।