मैं अक्स हूँ ये मुझे मत बताओ,
एक न एक दिन मुझे नजर सब आयेगा,
जरा एक बार अपना चेहरा तो दिखाओ!
कौन अपने कौन पराये हैं, ये कभी देखकर पता नहीं चल पाता है! कौन अच्छा सोच रहा और कौन बुरा ये जरा सा भनक भी नहीं लगता है! तो आइये शब्दों के माध्यम से उन सभी को अक्स दिखाया जाये और शब्दों को जोड़कर पंक्तियों में कविता को सजाया जाये!