काव्य की सतत सांस्कृतिक प्रक्रिया ही कविता की चनाधर्मिता है जिसका सीधा सरोकार सामान्य जन-जीवन से है। जिससे अलग कविता के अस्तित्व की कल्पना असम्भव है।
कृति की रचनाएँ
जन जीवन की सूक्ष्म समस्यायों से ओत प्रोत हैं। रचनाओं को मर्मस्पर्शी बनाने के लिए अल्पा जी ने अपनी भाव सम्पदा से समृद्ध किया है।
रचनाओं में नारी जीवन, मजदूर, आदिवासी के कष्ट,दुख,अभावों आदि समस्याओं का सजीव चित्रण किया गया है तो रिश्तों, बसन्त, प्रेम, अंतर्मन के रुदन की संवेदनाओं का भाव पूर्ण वर्णन भी समाहित है।
कवियत्री द्वारा मनोभावों को कविताओं में सहज भाषा में सरल मन से प्रस्तुत किया गया है यही कारण है कविताएँ
पाठक के मन को अंदर तक भिगोने की सामर्थ्य रखती हैं।