अमरनाथ यात्रा कठिनतम तीर्थ यात्राओं में से एक मानी जाती है और कदाचित् कैलाश मानसरोवर यात्रा के बाद दूसरे स्थान पर आती है। इसका दुरूह मार्ग एवं कठिन भौगोलिक स्थिति इस यात्रा को दुर्गम बनाती हैं। इसके दर्शन वर्ष में केवल 2 माह के लिए खोले जाते हैं क्योंकि अधिकांश समय यह पूरा क्षेत्र बर्फ से ढका रहता है। बहुत अधिक ऊँचाई पर स्थित होने के कारण चारों ओर बर्फ ही बर्फ होती है, मार्ग में ग्लेशियर पड़ते हैं जिनको पार करना होता है, ऊँचाई पर ऑक्सीजन की अत्यधिक कमी होती जाती है, और मौसम का मिजाज भी कब बदल जाए यह कह पाना मुश्किल होता है।
इसके बाद भी इसका रोमांच भक्तों में यहाँ तक कि साहसिक यात्रा और ट्रेकिंग पसंद लोगों में बना ही रहता है। इस पुस्तक में यात्रा के विवरण, मार्ग के साथ-साथ रोमांच को सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। साथ ही यात्रा से संबंधित तैयारियों को भी सम्मिलित किया गया है। इसके अतिरिक्त पंजीकरण से लेकर यात्रा पूर्ण होने तक हर समय बाबा बर्फानी के आशीष के अपने साथ होने का अहसास भी प्रमुखता से है, अतः कुछ प्रसंग इस आस्था और विश्वास को उजागर करते हुए भी मिलेंगे पाठकों को।