मालवी भारत के मालवा क्षेत्र की भाषा है। मालवा भारत भूमि के ह्रदय स्थल के रूप में सुविख्यात है। मालवा क्षेत्र का भूभाग अत्यंत विस्तृत है। पूर्व दिशा में बेतवा नदी,उत्तर पश्चिम में चंबल और दक्षिण में मां रेवा अर्थात नर्मदा नदी के बीच का प्रदेश मालवा है। मालवा लगभग 48000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है, तथा इसके अंतर्गत शाजापुर, आगर(मालवा), राजगढ़, सीहोर,धार,झाबुआ,रतलाम,देवास,इंदौर,उज्जैन,मंदसौर,नीमच,विदिशा जिले आते हैं। इसके साथ ही राजस्थान के कुछ क्षेत्र निंबाहेड़ा,झालावाड़ व चित्तौड़गढ़ आदि में भी मेवाड़ी व अन्य बोलियों के प्रभाव के साथ मालवी बोली जाती है। "मालव माटी गहन गंभीर,डग-डग रोटी पग-पग नीर"जैसी उक्ति मालवा के लिए प्रसिद्ध है।
प्रधान संपादक "अक्षर वार्ता" एवं कुलानुशासक विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रोफेसर डॉ.शैलेंद्र कुमार शर्मा की पुस्तक 'मालवी भाषा और साहित्य' के अनुसार- कथित आधुनिकता के दौर में हम अपनी बोली,भाषा,संस्कृति से विमुख होते जा रहे हैं।