ईश्वर रचित मायाजाल जिसे सृष्टि का नाम दिया गया है, इसमें समाहित तत्वों के लिए मन में उत्पन्न भाव-कल्पना की जो अनुभूति मुझे महसूस हुई उसी को मैंने अपने शब्दों में कागज़-कलम के सहारे आपके सामने अभिव्यक्त कर दिया, जो मेरे अन्तर की आवाज़ है जिसे कविता कहा जा सकता है। मेरी भाव अभिव्यक्ति मेरे सुधि पाठक के हृदय को छूकर उसके भाव का किंचित हिस्सा बन सकी तो मेरा यह प्रयास सफल होगा।
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