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Antarman se kabhi kabhi / अंतर्मन से कभी कभी

Author Name: Rohit Sharma | Format: Paperback | Genre : Others | Other Details

'अंतर्मन से कभी कभी' लिखने वाले महाशय कभी ये ध्यान में रख के इसे लिखना चालू नहीं किये थे की छपवा देंगे. ये किताब के हर एक शब्द भावनाओ से फूटे है. कुछ आधी रात लिखे गए. कुछ को चलती बस में लिखा. कुछ को अधूरे पन ने लिखवा दिया. कुछ सोचते सोचते लिखर गए. चुकी जब ख्याल अति तीव्र होके मन को परेशान करने लगते थे और छलकने लगते थे, इसे गिरते गिरते मोबाइल की स्क्रीन में समेट लिया गया. इसीलिए लिखने की अवधि दो साल होगी. इन्हे लिखते वक़्त जिन शब्दों को ढाल बनाया गया और उनकी मदद मांगी गयी, इसे छपवाने की तरकीब के दौरान उनमे ' ा' की मात्रा की भी फेर बदल नहीं की गयी ताकि पढ़ने वाले का मन लिखते वक़्त लिखने वाले के मन से मिले. किताब में थोड़ी कुछ कविताएं है और कुछ चित्रण अमूर्त लेखन के है.

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रोहित शर्मा

लेखक अपनी जीवनी टाइप करते वक़्त अपनी उम्र साढ़े छब्बीस बताते है. भारत के मध्य प्रदेश राज्य के मैहर नामक कसबे में इनका जन्म हुआ था. मैहर एक छोटा सा शहर है. एक जमाने में खूब हरा भरा भी हुआ करता था. सारी ऋतुएँ बराबर दस्तक देती थी. इसलिए बारिस में भीग लेने का अनुभव रखते है, सर्दी में कोहरे का अनुभव भी है. अभी की शिक्षा प्रणाली के मुकाबले इन्हे तीन महीने तक की गर्मियों की छुट्टियों का अनुभव प्राप्त है. चुकी तब मोबाइल फ़ोन का ज़माना नहीं हुआ करता था तो तितली के पीछे भागने का भी स्वभाग्य इन्हे प्राप्त है. रात को बिजली न होने की वजह से खुले छत पे सोते वक़्त तारे भी देखा करते है... मेट्रिक की पढाई के बाद मैथ्स खुद से लिया था. बारवी के बाद एक साल दिल्ली में घिसे थे और फिर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान सिल्चर (एन आई टी सिल्चर), असम से अपनी बी. टेक. की डिग्री मैकेनिकल इंजीनियरिंग में हासिल की थी. इन दौरान आई आई टी गुवाहाटी और आई आई टी गाँधीनगर से रिसर्च प्रोजेक्ट करने का अनुभव भी प्राप्त है. कॉलेज के आखिरी वर्ष में कैंपस प्लेसमेंट पर गोदरेज एंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लिमिटेड में नौकरी लग गयी थी जहा वे करीब करीब छब्बीस महीने कार्यरत थे और उसके बाद ब्लूस्टार लिमिटेड में सर्विस इंजीनियर बनके पंद्रह महीने बिताये. अभी जीवित है. कुछ पढ़ रहे है.

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