अर्द्धनारीश्वर: चेतना का रहस्य एक ऐसी कहानी है जहाँ आधुनिक जेनेटिक साइंस और प्राचीन भारतीय ज्ञान एक साथ आते हैं। दिल्ली के एक्सपेरिमेंटल रिसर्च सेंटर में डॉ. रवि और डॉ. अन्या CRISPR तकनीक, डिज़ाइनर जेनेटिक्स और मानव अमरता जैसे बड़े वैज्ञानिक लक्ष्यों पर काम करते हैं। लेकिन धीरे-धीरे रवि समझना शुरू करता है कि जीवन, चेतना और आत्मा जैसे गहरे सवालों के जवाब सिर्फ विज्ञान में नहीं मिलते।
सच्चाई की खोज उसे प्रयोगशाला से काशी तक ले जाती है। वहाँ एक शिव-तांत्रिक योगी उसे बताता है कि कैसे हर इंसान के DNA में शिव (चेतना) और शक्ति (ऊर्जा) का संतुलन छिपा है। यह अनुभव उसके भीतर एक नई जागृति पैदा करता है और “कॉन्शियस जीनोम प्रोजेक्ट” की शुरुआत होती है एक ऐसा प्रयास जो वैज्ञानिक सोच और आध्यात्मिक समझ को एक साथ लाने की कोशिश करता है।
उपन्यास यह सवाल उठाता है: क्या असली विकास शरीर को परिपूर्ण बनाने में है, या आत्मा को जागृत करने में? अर्द्धनारीश्वर पाठकों को उस दुनिया में ले जाता है जहाँ विज्ञान और आध्यात्मिकता एक दूसरे को पूरा करते हैं और एक नए, जाग्रत मानव के उदय की शुरुआत होती है।
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