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Ashtadhyayi / अष्टाध्यायी

Author Name: Panini | Format: Paperback | Genre : Reference & Study Guides | Other Details

व्याकरण के समस्त ग्रन्थों में अष्टाध्यायी का मूर्धन्य स्थान है। इसीके कारण पाणिनि जी की कीर्तिपताका अद्यावधि फहरा रही है। इस अष्टाध्यायी में आठ अध्याय हैं और एक-एक अध्याय में चार-चार पाद हैं।
कुल मिलाकर बत्तीस पाद होते हैं। अष्टाध्यायी में लगभग ३९९३ सूत्र हैं। अत्यल्प सूत्र में अत्यधिक अर्थों को भर देना पाणिनि और उनकी प्रतिभा  का अलौकिक चमत्कार है। 

यही छोटा सूत्र स्वल्पाकार को छोड़कर बाद में इतना विराट् रूपधारण कर लेता है कि जिसमें समस्त संस्कृत वाङ्मय ओतप्रोत दिखाई देने लगते हैं। पाणिनि जी की प्रखर प्रतिभा प्रत्येक सूत्र से मुखरित होकर पाठकों को अष्टाध्यायी जैसा ग्रन्थ रटने की शिक्षा दे रही है। 

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पाणिनि

​पाणिनि जी का जन्मस्थान शलातुर ग्राम था। शलातुर का अपभ्रंश सलातुर लाहुर या लाहौर शब्द बन गया है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि अटक के पास लाहुर ग्राम ही शलातुर था, लाहौर स्थान अब पाकिस्तान
में है।​यह सर्वथा सत्य है कि पाणिनि की माता का नाम दाक्षी था।​पाणिनि जी के पिता का नाम शालङ्कि (शलङ्कु) था। पाणिनि जी के अनुज का नाम पिङ्गल था। यह वही पिङ्गलाचार्य माने जाते हैं जिन्होंने पिङ्गलशास्त्र (छन्द शास्त्र) की रचना की।पाणिनि के गुरु जी का नाम वर्ष या उपवर्षोपाध्याय था

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