पाणिनीय अष्टाध्यायी केवल संस्कृत व्याकरण के लौकिक एवं वैदिक पदों की सिद्धिमात्र ही नहीं करती, अपितु इसके अध्ययन से समाजशास्त्र (मानवशास्त्र), इतिहास (पुराण), राजनीति एवं भूगोल
आदि का भी परिनिष्ठित ज्ञान प्रदान करती है। इसके साथ ही लगभग चार हजार सूत्रों के माध्यम से प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक, सामाजिक, राजनैतिक और भौगोलिक परिस्थितियों का विश्लेषण भी करती है।