कभी-कभी ऐसा लगता है के बहुत कुछ कहना है मगर कोई सुनने वाला नहीं, तारीफ़ करने को जी करता है, कुछ हालातों पर गुस्सा आता है, पर सब कुछ समेटकर ज़िन्दगी यूँ ही गुज़रती रहती है। फ़िर अचानक एक मोड़ ऐसा आ जाता है जब एहसास उफान मार कर सारे रूकावटो को तोड़ देता है, और कलम पन्ने भरने लगती है। यह पुस्तक मेरे तरकश से निकले हुए कुछ ऐसे ही एहसासों का संग्रह है। सुख, दुख, क्रोध, तृष्णा, तृप्ति, आवेग से भरे मेरे इस दुनिया में आपका स्वागत है।
“कलम के एक छोर पर ख्याल
एक छोर पर वजूद लेकर चल रहा हूँ,
ज़िन्दगी के पथरीले रास्ते पर
आकांक्षाओंसे प्यास मिटाए चल रहा हूँ।“
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners
Sorry we are currently not available in your region. Alternatively you can purchase from our partners