मैं "हरिश्चन्द्र त्रिपाठी'हरीश; प्रस्तुत पुस्तक "शिशु गान" आप सब को प्रस्तुत करते हुए अपार प्रसन्नता की सुखद अनुभूति कर रहा हूॅ। इस पुस्तक में मैंने शिशु की जिज्ञासा को गीत के माध्यम से समझाने का पूरा प्रयास किया है। उठते-बैठते,चलते-फिरते, उछलते-कूदते बाल मन को पुस्तक रुचिकर लगना ही मेरी सफलता है। भारतीय सनातन संस्कृति पर आधारित यह पुस्तक बाल सुलभ चंचल मन को एक सुन्दर सन्देश की अनुभूति कराने में सफल हो। पूज्य गुरुदेव की कृपा जैसे मुझ अकिंचन को मिली,जन-जन को मिले। प्रिय बाल-गोपाल में राष्ट्र-धर्म का संचार करती यह पुस्तक आप सभी को समर्पित करता हूॅ। अच्छी साज-सज्जा के साथ मनमोहक ढ़ंग से पुस्तक प्रकाशन हेतु आदरणीय सुमन सर को बहुत -बहुत धन्यवाद। आपकी प्रतिक्रिया ही मेरा सम्बल रहेगा।
पूज्य प्रवर जनों को नमन करते हुए इसी अपेक्षा के साथ।