आज बहुजन समाज अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। आज बहुजन समाज देश के राजनैतिक बाज़ार में खड़ा हुआ है और भारत के बिभिन्न राजनैतिक दल बहुजन समाज की बोली लगा रहे हैं। उन्हें बिभिन्न प्रकार के प्रलोभन देकर उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं। लेकिन बहुजन समाज सोच नहीं पा रहा है कि जाएँ तो किधर जाएँ।
कई दल तो ऐसे भी हैं जो संविधान को बदल डालने वाली सोच रखने तथा मनुस्मृति के कानूनों को लागू करने की सोच रखने वालों के ही साथ हो गए है। इन्हीं में से एक दलित मसीहा, शोषित के भगवान, विश्व रत्न, बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा स्थापित भारतीय रिप्ब्लिकन पार्टी भी है, जो कि आज कल कट्टर हिंदूवादी सोच रखने वाली आर.एस.एस. की गोद में बैठी दिखाई दे रही है। उसके सर्वेसर्वा रामदास अठावले मोदी सरकार में मंत्री बने बैठे हैं और उनकी हाँ में हाँ मिलाकर दलित विरोधी नीतियों का कोई भी प्रतिकार नहीं कर पा रहे हैं।