मेरी पुस्तक का नाम मेरे दिल के सवाल पर है। मेरा इस पुस्तक को प्रकाशित करवाने का मकसद यह है।कि हम ग्रामीण महिलाओं तथा किशोरियों पर हो रहे अत्याचारों से हर कोई रुबरु हो पाएं । और इस निच्च सोच वाले समाज को जागरूक करने में मेरी सहायता करें |
मेरा नाम कुमारी दिया आर्या है। मैं 14 वर्ष की हूं। मुझे लेखन से बहुत अधिक प्यार है। तथा लेखन मेरी बचपन से ही अभिरूची है। मैं अपना भविष्य लेखन की ओर ही समर्पित करना चाहतीं हूं। मेरी माता जी का नाम श्रीमती कविता देवी है। तथा पिता जी का नाम श्री रमेश राम जी है।
मैं एक ऐसे दूरस्थ क्षेत्र से हूं । जहां पर नारी को अछूत तथा अभिशाप समझा जाता है। इसी कारण में अपनी सारी रचनाएं नारी शक्ति की व्यथा पर ही लिखती हूं। नारी के साथ अत्याचार तथा भेदभाव किया जाता है। जिससे की हम बालिकाओं पर भी रोक लगाया जाता है। और हमें शिक्षा से भी वंचित रखा है। मेरे दिल में एक ही आरज़ू है।कि मैं इस भेदभाव को समाप्त करने की कोशिश में कामयाब हो जाऊं। मैंने इस भेदभाव को बचपन से ही सहा है। इसलिए मेरी हर रचना में यह नारी शक्ति की व्यथा झलक कर आ जाती है। और मैं अक्सर एक ही प्रश्न सोचती हूं।कि क्या ए खुदा बेटी होना पाप है? जिसके ही अंतराल मैंने अपनी पुस्तक का नाम भी यही रखा है।