नारी मन की सोच, उसका अंतर्द्वंद, घर, परिवार और समाज में उसकी स्थिति, उसकी परबसता, उसके विभिन्न चरित्र, उसकी रचनात्मक शक्ति और उसका विध्वंशक रूप और अगर सही समय पर सही मार्गदर्शन मिल जाय तो उसके रचनात्मक रूप की पराकाष्ठा। इन्हीं बिंदुओं को केंद्र में रख कर उन्हें रोचकता का पुट देते हुए कहानी विधा में प्रस्तुत किया गया है।