यह उपन्यास प्रिय पत्नी भाग्यवान देवी अर्थात पूनम प्रभाकर को समर्पित, जिसकी प्रेरणा से मैं साहित्यकार बन सका और जिसकी इच्छा पर इस उपन्यास की रचना की गयी है। यह उपन्यास भाग्यवान देवी अर्थात पूनम प्रभाकर के साथ बिताये उन बावन वर्षों के समर्पित जीवन के नाम भी है जिसने धुप छाँव के अनेक पड़ावों में भी संतोष के उन पलों को अनदेखा नहीं किया, जिसमें आम जन विचलित हो जाते हैं।
मेरी यह पुस्तक मेरे पुत्रों शोभित एवं सिद्धार्थ को भी समर्पित है जिनके सहयोग के बिना मेरी इन 74 से अधिक पुस्तकों का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशन, बिक्री और वितरण संभव ही नहीं था। जिनके इन प्रयासों से ही मुझे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय साहित्यकार की मान्यता मिली।
यह पुस्तक मेरे उन लाखों पाठकों भी समर्पित है जिनकी प्रेरणा से मुझे सामाजिक, राजनैतिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न विषयों पर लिखने को प्रेरित किया।
इंजि. डी. के. प्रभाकर
विकास नगर, लखनऊ
दिनांक- भाग्यवानदेवी पूनम का जन्म दिवस, 15 अगस्त, 2025
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