पूंजीवाद व्यवस्था में आर्थिक रूप से कमजोर व श्रमिकों का खास खायाल रखा गया था। देश में पूंजीबाद हावी न होने पाये इसके लिए सरकारी व सार्वजनिक उद्यमों तथा भारी कल कारखानों की नीव रखी गई जिसमें करोड़ों लोगों को सरकारी नौकरी व रोज़ी रोटी दी गई।
इस सबसे समाज की आर्थिक दशा में काफी सुधार भी परिलक्षित हुआ। सरकारी व सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम भी काफी लाभ अर्जित कर रहे थे और उन्हें उद्योग रत्न की श्रेणी में रखा गया था।
देश का इतिहास इस बात का गवाह है कि ब्रिटिश पूंजीवादी ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश के तत्कालीन शासकों को बरगलाकर यहाँ व्यापार करने की सहमति लेकर व्यापार शुरू किया था।उसके बाद पूरे व्यापार और पूंजी पर कब्जा कर लिया और धीरे धीरे राज्यों पर कब्जा कर लिया। उसके बाद भारत देश को गुलाम बनाकर देश के शासक बन बैठे, उस गुलामी का दंश हमारे पूर्वजों ने 200 साल तक झेला। क्या हमें इससे सबक नहीं लेना चाहिए?
तो आइये अब हम विस्तार से चर्चा का प्रारम्भ करें जिससे वर्तमान तथा भावी पीड़ी का मार्ग दर्शन हो सके। इस शोध ग्रंथ को मैं संविधान दिवस को समर्पित कर रहा हूँ जिससे संविधान कि मंशा के विपरीत किए जा रहे कार्यों का विरोध किया जा सके।
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