ये पुस्तिका उन सभी कन्याओं के लिए है
जो आत्म निर्भर होने की आशा रखती है।
इस पुस्तिका में विषकन्या शब्द का प्रयोग इस प्रयोजन से किया गया है कि इंसान को व्यक्ति को ये समझाया जा सके कि हर स्त्री अपने आप में संपूर्ण हैं अपनी रक्षा करने में। स्वतंत्र होने में। और आत्म सम्मान के साथ जीने में।
फिर चाहे उस स्त्री को वो सब हासिल करने के लिए
विश का घूंट ही क्यों ना पीना पड़े इस किताब के द्वारा हम जानेंगे कि किस तरहा से आचार्य चाणक्य ने स्त्रियों को स्वतंत्र होना सिखाया
और किस तरह से आचार्य चाणक्य के जीवन से
स्त्रियां भी बहुत कुछ सीख कर आगे बढ़ सकती है।