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CHAND ADHURA KAVITA ADHURI / चाँद अधूरा, कविता अधूरी

Author Name: Janib Vishal | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मेरी बचपन से ही हिन्दी एवं संस्कृत साहित्य में रूचि रही है, रामचरित मानस की चौपाई सस्वर गाने से लेकर गीता एवं पंचतंत्र के श्लोकों का पाठ करते-करते ये बालमन ओर ज्यादा साहित्य को पढ़ने लगा। मीरा के पद्य से लेकर गिरधर की कुण्डलियों को जब पढ़ा तब कविताओं को पढ़नें में ओर अधिक आनंद आने लगा। मेंने कभी छंद एवं अलंकार पर ध्यान नहीं दिया, बस शब्दों में छुपे भावों को ही आत्मसात् किया।

कुमार विश्वास जी के गीतों से लेकर नई हिंदी की कविताओं को भी सुना एवं पाया की आदिकाल की कविताओं में जहाँ छंद प्रधानता होती थी वहीं आज की नई वाली हिंदी कविताओं में भाव की प्रधानता है शायद इसी कारणवश मेंने भाव प्रधानता को ही स्वीकारा।

ठीक छंदों की ही भाँति मेंने कभी किसी एक रस को नहीं चुना। जब कभी मन में जो भाव आये चाहे वो किसी भी रस के हो लिख दिये। मैं न तो कोई महान कवि हूँ एवं कोई सिद्धहस्त लेखक भी नहीं। मैं तो केवल एक प्यासा पथिक हूँ जो लिखकर अपनी प्यास बुझाना चाहता है।  कविता लिखी और देखा नभ में चाँद अधूरा है तो कह दिया "चाँद अधूरा, कविता अधूरी।"

कभी वियोग की पीड़ा से कष्ट हुआ तो लिख दिया

"इक ख़्याल भर की छुअन से रूह सिहर जाती है।"

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ज़ानिब विशाल

कवि 'ज़ानिब विशाल' मूलत: मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के गाँव मऊ(सुठालिया) से संबंध रखते है। साहित्य के प्रति इनके मन में बचपन से ही गहन रूचि रही है। इन्होंने बाल्यकाल में बनारस में रहकर संस्कृत एवं वैदिक कर्मकाण्ड का अध्ययन किया तथा 'मानित विश्वविद्यालय, दिल्ली' से संस्कृत में डिप्लोमा किया है। ये भोपाल में स्थित 'राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय' से कम्प्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग कर रहे थे, जो किसी कारणवश इन्होंने बीच में ही छोड़ दी।

इनका प्रथम काव्यसंग्रह 'इश्क़ के रंग' था, जिसमें २७ कवितायें थी। यह इनका द्वितीय काव्यसंग्रह है , जो आपके हाथ में है।

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