यूँ तो होते है, आस-पास हमारे, कही इंसा
पर घूम रहा तन्हा, दबाये राज़ कई, इंसा |
जब होती है दस्तक वहां, धड़कता खंडर जो कांच का
डूबोगे तो जानोगे वहां, दरिया गहन अहसास का |
ये आँखे क्यों भरती है? जज़्बात- मरहम, सब तो दिल का
बया करे हर अफसाना-ऐ-कागज़, जो मोहताज़ दस्तक का |