"धरती के जख्म" डॉ. मुकेश अग्रवाल द्वारा रचित एक मार्मिक काव्यसंग्रह है, जो प्रकृति के दर्द, मानवता की भूलों, और जीवन पर उनके प्रभाव को कविताओं के माध्यम से उजागर करता है। यह संग्रह पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का आह्वान है और चेतावनी देता है कि यदि हमने अब भी सुधार नहीं किया, तो हमारा भविष्य अंधकारमय हो सकता है। कविताओं की भावनात्मक अभिव्यक्ति पाठकों को न केवल सोचने पर मजबूर करती है, बल्कि उन्हें धरती को बचाने की प्रेरणा भी देती है। यह संग्रह प्रकृति की पुकार है—प्यार, संरक्षण, और हरियाली की पुनः स्थापना के लिए।
मुख्य आकर्षण:
1. प्रकृति और पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित कविताएं।
2. पर्यावरणीय समस्याओं और उनके समाधानों का कलात्मक चित्रण।
3. प्रकृति के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता बढ़ाने वाली रचनाएं।
4. सकारात्मक भविष्य की ओर प्रेरणा देती कविताएं।
5. सरल भाषा में गहरी संवेदनाओं और संदेशों का अनूठा संकलन।
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