मैं दीपक राजोरिया दिल्ली का रहने वाला, दिल्ली मैं एक छोटी सी कालोनी शकुरपूर में रहता हूँ,
मेरे पापा जी का नाम श्री ब्रज मोहन है और मेरी माता जी का नाम श्रीमती शारदा जी है|
अब मैं अपनी बात करूँ तो पढ़ाई मैंने ग्रेजुएशन तक की हुई है,
सही मायने में कहूँ तो मुझे लिखने का शौक बाद में आया पहले जुनून गायकी का चढ़ा,
अब लिखने की बात करूँ तो सबसे पहले मैंने शायरी या कोई नज़्म नहीं लिखे थे, सबसे पहले लिखने की शुरुआत गानों से हुई थी और उसके बाद शायरी पर आये थे,
मैंने क़रीब ढाई साल तक नज़्म लिखें,
शायद अब आपको ये जान कर दुख होगा कि अब मैंने शायरी लिखना छोड़ दिया है, शायरी छोड़ देने का कोई कारण नहीं है