तलाक को संसार में एक सबसे खराब काम माना गया है चाहे वह किसी धर्म का हो या समाज का हो क्योंकि इससे घर टूटता है, यदि बच्चे हो तो बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है लेकिन जब कोई बनने की संभावना नहीं होती है तब तलाक एक मजबूरन प्रक्रिया होती है। तलाक आदमी भी दे सकता है और औरत भी, इस्लाम में औरत को तलाक देने का अधिकार खुला के रूप में होता है। बेहतर तो यही है कि विवाह के समय लड़की और लड़का को एक दूसरे को दिखा देना चाहिए और संभव हो सके तो बातचीत भी कर देना चाहिए जिससे जो बातें बाद में निकलती है वह आपस में स्पष्ट हो जाए। हालांकि इस्लाम में इसकी कोई मनाही नहीं है लेकिन समाज ही ऐसा है, यह विचार करना पड़ेगा। यह तय कर पाना बड़ा मुश्किल है कि तलाक के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? क्योंकि इसमें मियां बीवी के साथ-साथ लड़की और लड़के के परिवार की भी अच्छी खासी भूमिका होती है। यदि बच्चे हो तो इंसान तलाक देने से पहले, चाहे औरत हो या आदमी उसको अपने बच्चों के बारे में जरूर सोचना चाहिए यह सोचना चाहिए कि बच्चों के लिए मुझे उनकी खुशियां बर्बाद नहीं करनी है। इसी विषय पर उपलब्ध यह पुस्तक है कृपया इसे पढें यदि कोई अधिक जानकारी हो तो बताएं
धन्यवाद
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