भूमिका
कुछ अपनी बात
मेरा इतिहास से लगाव तो है, परंतु स्वयं को अल्पज्ञ ही समझता। शेरशाह या शेरखां। बचपन में उसे फरीद खां कहा जाता था। इन पर लिखने का मतलब हिन्दुस्तान के उस काल एवं घटनाओं को याद करना है, जब एक बार फिर देश गुलाम बन गया था। केवल बिहार और देश ही नहीं, बल्कि समूची दुनिया की घटनाओं को समझना था।