भारतीय समाज को `दहेज़ की लपटें` अथवा उसकी तपिस आज इस प्रकार परेशान कर रही हैं कि आप किसी भी न्यायालय, परिवार न्यायालय अथवा समझोता केंद्र में चले जाय, आपको दहेज़ से पीड़ित कन्या पक्ष के जितने मामले मिलेंगे उससे कहीं अधिक मामले कन्या पक्ष द्वारा फर्जी दहेज़ के मामलों में फसाए गए वर पक्ष के दुखी लोग मिल जायेंगे। कहीं कहीं तो वर पक्ष के दस दस लोगों को जमानत करवाने के लिए बीस बीस जमानतदार लोगों का प्रवंध करके न्यायालय में आना पड़ता है, तब जाकर उनको केवल जमानत ही मिल पाती है।